रानी ने सोचा क्यों ना इसे घर ले चलूँ , घर वाले भी खाएंगे।
एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।
(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।
एक दिन चुनमुन ने बच्चों को उड़ना सिखाने के लिए कहा।
रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।
बनाने के लिए वोट दिया है। मुखिया को का संगी की यात्रा करने और उसके साथ नीले आकाश में उड़ान भरने का मौका मिलेगा। क- संगी सूर्य की देवी थीं। मोर बहुत उत्साहित था। मोर ने अपनी यात्रा के लिए उड़ान भरी। उसके जाने के तुरंत बाद, अन्य पक्षी गपशप करने लगे और उनकी छोटी सी चाल पर हंसने लगे। का-सांगी अपने महल में अकेली रहती थी। इसलिए, वह अपने स्थान पर एक अतिथि को पाकर बहुत खुश थी।
रामकृष्ण परमहंस उस वृक्ष के नीचे गए और विषधर को बुलाया। विषधर क्रोध में परमहंस जी के सामने आंख खड़ा हुआ। विषधर को जीवन का ज्ञान देकर परमहंस वहां से चले गए।
By way of this Hindi fiction e-book, Munshi Premchand provides a vivid and realistic portrayal of rural existence, providing visitors a glimpse to the intricate web of human thoughts and societal structures in early twentieth-century India. The novel stands as being a timeless vintage, Checking out the themes of morality, sacrifice, hindi story and The search for dignity amidst a backdrop of agrarian struggles.
नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।
लोग पटरियों पर कूड़ा फेंक देते और दीवार के सामने पेशाब भी करते थे, जिसके कारण वहां काफी बदबू आती थी। मुकेश को यह सब अच्छा नहीं लगता था।
"यह बात नहीं कि उनकी जीभ चलती नहीं, पर मीठी छुरी की तरह महीन मार करती हुई. यदि कोई बुढ़िया बार-बार चितौनी देने पर भी लीक से नहीं हटती, तो उनकी बचनावली के ये नमूने हैं हट जा – जीणे जोगिए; हट जा करमाँवालिए; हट जा पुत्ताँ प्यारिए; बच जा लंबीवालिए.
translates to “Your house of Services” in English. The novel explores the societal norms and challenges faced by Women of all ages in early 20th-century India. The story revolves around the protagonist, Suman, a youthful and idealistic girl who strives for independence and self-realisation in the conservative and patriarchal Culture. Suman’s journey can take her via different struggles and conflicts as she tries to break away from the standard roles assigned to women.